October 6, 2024
Dhirendra Krishna Shastri

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कौन है? जीवन परिचय, बागेश्वर धाम | Dhirendra Krishna Shastri Biography in hindi

Dhirendra Krishna Shastri
 

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आजकल इंटरनेट और सोशल मीडिया पर एक नाम जमकर छाया हुआ है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इस समय सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं जिन्हें लाखो लोग पसंद करते हैं और खुद को उनका भक्त मानते हैं।

बागेश्वर धाम में दरबार लगाने वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री की सबसे खास बात यह है कि वह अपने भक्तों की मन की बात बिना बताए जान लेते हैं। इसी खास वजह से लोगों का मानना है कि उन पर हनुमान जी की असीम कृपा है जिसकी वजह से वह सब की परिस्थितियां और उनके मन की बात जान लेते हैं।

यहां तक कि कुछ लोग उन्हें हनुमान जी का अवतार भी बताते हैं। इन दिनों पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने बयानों और विवादों को लेकर काफी चर्चा में हैं। आइए आज आपको इस आर्टिकल के जरिए पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचय (Dhirendra Krishna Shastri Biography in hindi) बताते हैं।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का संक्षिप्त जीवन परिचय, जीवनी (Dhirendra Krishna Shastri Biography in hindi)

पूरा नाम (Full Name)धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री
उपनामबागेश्वर महाराज
अन्य प्रसिद्ध नामबालाजी महाराज, बागेश्वर महाराज शास्त्री जी
जन्म (Date of Birth)4 जुलाई 1996
जन्म स्थान (Place of Birth)गड़ा, छतरपुर, मध्य प्रदेश
परम् मित्रशेख मुबारक एवं राजाराम
भाषासंस्कृत, बुंदेली, हिंदी, अंग्रेजी
पिता (Father Name)राम करपाल गर्ग
माता का नाम (Mother Name)सरोज गर्ग
गुरुश्री दादा जी महाराज सन्यासी बाबा
मंदिरश्री बालाजी हनुमान को समर्पित
शिक्षाB.A. स्नातक (कला वर्ग )
व्यवसायसनातन धर्म प्रचारक, कथावाचक, दिव्य दरबार,
प्रमुख बागेश्वर धाम, यूट्यूबर
उम्र (age)26 वर्ष
धर्म (Religion)हिंदु
वैवाहिक स्थिति (Marital-Status)अविवाहित
नेटवर्थ (Net-Worth)19.5 करोड़

धीरेंद्र कृष्ण जी का आरंभिक जीवन

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ़ बागेश्वर महाराज की जन्मतिथि 4 जुलाई 1996 हैं। छतरपुर जिले के गढ़ा गांव उनका पैतृक स्थान है जहां से इनके जीवन की शुरुआत होती है, इनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय रही।

पिता राम करपाल गर्ग एक पुजारी थे , जो यजमान बनकर कथा कहते थे और माता सरोज गर्ग साधारण गृहणी थी। उनका पालन पोषण बेहद सादे ढंग से किया गया। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दादाजी श्री भगवान दास गर्ग को अपना सच्चा गुरु मानते हैं।

उनके दादा निर्मोही अखाड़े के सदस्य थे। दादा के सानिध्य में ही धीरेंद्र शास्त्री का लगाव रामायण और भगवत गीता से हुआ।

धीरेंद्र कृष्ण जी की शिक्षा

धीरेंद्र कृष्ण जी ने अपनी प्रारंभिक परीक्षा गांव के सरकारी स्कूल से प्राप्त की। उनके गांव में स्कूल नहीं था इस वजह से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की परीक्षा शहर से पूरी की।

कला वर्ग से स्नातक करने के बाद उन्होंने अपना जीवन में समाज सेवा को समर्पित कर दिया। मानव सेवा को उन्होंने अपने जीवन का मुख्य लक्ष्य बनाया।

धीरेंद्र कृष्ण जी दादा को मानते हैं अपना गुरु

धीरेंद्र कृष्ण की वंशावली ब्राह्मण हैं, शुक्ला परिवार में जन्म लेने के कारण बचपन से ही घर में पूजा पाठ और भक्ति में माहौल था। जिसका असर बालक धीरेंद्र के मन मस्तिष्क पर पड़ा।

दादा भगवानदास गर्ग जैसे सिद्ध संत की छत्रछाया में बढ़े हुए धीरेंद्र कृष्ण जी ने उन्हें अपना गुरु बनाया।

उनके दादा का बागेश्वर धाम से गहरा संबंध रहा है, वे निर्मोही अखाड़े के पास हनुमान मंदिर में लगने वाले दरबार का नेतृत्व करते थे।

अपने दादा जी से प्रेरणा लेकर धीरेंद्र कृष्ण ने भी दिव्य दरबार का हिस्सा बनना प्रारंभ कर दिया। उस दिव्य दरबार के कारण धीरेंद्र कृष्ण जी मशहूर हो गए और लोग उनके कथा वाचन को काफी पसंद करने लगे।

कई बार बागेश्वर महाराज जी ने यह बात कहा है कि उन्हें जो भी सिद्धि और शक्तियां प्राप्त है वह सब उनके दादा भगवान दास गर्ग का आशीर्वाद हैं।

बागेश्वर धाम क्यों है चर्चा में, क्या है विवाद?

नागपुर की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति अंधविश्वास के खिलाफ कैंपेन करने वाली एक संगठन समूह है इन्होंने बागेश्वर महाराज पर अंधविश्वास फैलाने का इल्जाम लगाया था, कहा कि बागेश्वर महाराज को जब अपना चमत्कार दिखाने के लिए चुनौती दी गई तब कथा बीच में छोड़कर ही कहीं भाग गए।

हालांकि इस मुद्दे पर बागेश्वर महाराज ने भी बयान जारी किया और कहा कि, जिस संगठन ने उन्हें चुनौती दी वे उन्हें शहर से दूर रायपुर में आमंत्रित कर रहे थे, लेकिन रायपुर जाना के लिए अभी संभव नहीं था इस कारण उन पर झूठे इल्जाम लगाए जा रहे हैं।

वह अपनी रामकथा बीच में छोड़कर रायपुर कैसे जा सकते हैं।

चमत्कारी है बाबा बागेश्वर

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बागेश्वर महाराज का दावा  हैं कि वे भक्तों की सारी विनतीयों को सुनकर हनुमान जी के पास पहुंचाते हैं।

लोगों का मानना है कि बाबा बागेश्वर भूत प्रेत भी भगाते हैं।

भक्त सिर्फ पर्ची पर अपना नाम लिखकर बाबा बागेश्वर तक पहुंच जाते हैं और वह नाम पढ़कर बिना बोले उनकी सारी समस्या बता देते हैं।

परम मित्र है शेख मुबारक

बाबा बागेश्वर धाम के परम मित्र का नाम शेख मुबारक है, जिन्होंने हर मुश्किल वक्त ने बाबा बागेश्वर का साथ दिया है, शेख मुबारक ने बागेश्वर बाबा की बहन की शादी कराने में मदद की।

दोनों की मुलाकात की कहानी काफी दिलचस्प है, दोनों अलग-अलग धर्मों से आते हैं जब एक बार शेख मुबारक हो सनातन धर्म से जुड़े हुए कुछ भ्रम हुए तब उन्होंने बागेश्वर धाम से चर्चा करना जरूरी समझा।

बागेश्वर धाम ने शेख मुबारक के सभी संदेह को दूर किया, दोनों ने अपने अपने धर्मों पर खूब बातें की और यहीं से इनकी गहरी दोस्ती हो गई। बाबा बागेश्वर धाम कथा के दौरान अपने परम मित्र का नाम अक्सर लेते रहते हैं।

बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने के तरीके

जो श्रद्धालु बागेश्वर धाम पहुंचना चाहते हैं उन्हें सबसे पहले बाबा के दरबार में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। रजिस्ट्रेशन कराने के बाद उन्हें एक टोकन दिया जाता हैं। रजिस्ट्रेशन के दौरान श्रद्धालुओं से उनका मोबाइल नंबर और नाम पता इत्यादि लिया जाता है।

फरियादी बालाजी अर्थात हनुमान जी व महादेव शिव को अर्जी लगाते हैं। यह प्रक्रिया यहीं खत्म हो जाती है इसके बाद मंदिर परिसर में प्रवेश करेगा तब वहां हजारों की संख्या में लाल और काले रंग की पोटली मिलेंगी। पोटली में वह नारियल बांधकर अपनी समस्या दोहराते हुए दरबार तक पहुंचेंगे। काली पोटली भूत प्रेत इत्यादि समस्याओं के लिए होती है और लाल पोटली अन्य घरेलू समस्याओं के लिए प्रयोग की जाती हैं।

नारियल बांधकर अर्जी लगाने की प्रक्रिया खत्म हो जाती है। फरियादी अपनी समस्याओं को मन में दोहराते हुए मंदिर की 21 बार परिक्रमा करते हैं। कहा जाता है कि यहां अलौकिक शक्तियां निवास करती है,जो श्रद्धालुओं की मदद करती है। दरबार का समय मंगलवार और शनिवार होता है।

Dhirendra Krishna Shastri contact number

कथा वाचन के दौरान बागेश्वर बाबा कई ऐसी अनमोल बातें कहते हैं जो प्रत्येक मनुष्य के जीवन में बहुत काम आती है, उनके सुविचार निम्न है –

  • विद्यार्थियों ने अपने अपने रोज के जीवन में माता-पिता और गुरु को प्रणाम करना शुरू कर दिया उनकी बल आयु और विद्या बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता है।
  • जो लोग हर समय अभाव के बारे में सोचते रहते हैं उनको नहीं पता है कि यदि अभाव नहीं होगा तो, प्रभाव का महत्व कभी नहीं पता चलेगा।
  • जो लोग अभाव में होते हैं वह ज्यादा भजन करते हैं, प्रभाव के समय भजन नहीं हो सकता।
  • सुख और दुख को झूले की गति से देखिए, दुख का झूला जितना पीछे जाएगा सुख का झूला उससे और आगे जाएगा।
  • प्रार्थना मनुष्य को हर बुरे समय से बचा सकती है।